Bhai Dooj

भाईदूज

यमद्वितीया अर्थात भाईदूज

इस दिन ब्रह्मांडसे आनंदकी तरंगोंका प्रक्षेपण होता है। असामायिक अर्थात अकालमृत्यु न आए, इसलिए यमदेवताका पूजन करनेके तीन दिनोंमेंसे कार्तिक शुक्ल द्वितीया एक है।

भाई दूज पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान विष्णु और गणेश जी की अराधना करें।
  • भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
  • फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
  • चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है ।
  • फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
  • तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है ।
  • फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं ।

भाई दूज कथा

सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की दो संतान उत्पन्न हुई थी। एक पुत्र यमराज तथा एक पुत्री यमुना। जब संज्ञा सूर्य देव के तेज़ को सहन नहीं कर पाई तो उन्होंने अपनी छायामूर्ति का निर्माण किया तथा उस छायामूर्ति को अपनी दोनों संताने सौंप कर चली गईं। उधर, यमुना जो अपने भाई यमराज से बेहद स्नेह करती थीं, वह सदैव अपने भाई यमराज के घर जाती थी ।

प्रत्येक सुख दुःख में उसका साथ देती थी। फिर विवाह के बाद यमुना अपने भाई यमराज को अपने घर आने के लिए भी आमंत्रित करती थी, लेकिन व्यस्तता के कारण यमराज उसके घर नहीं जा पाते थे। एक बार की बात है जब कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को यमराज अपनी बहन के घर पहुंच गए।

अपनी बहन के घर जाने से पहले यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को भी मुक्त कर दिया था ।

इसके बाद जब यमराज अपनी बहन के घर गए तो उनकी बहन यमुना ने उनका खुशी से स्वागत तथा आदर सत्कार किया और उनके मस्तक पर तिलक लगाया। अपने भाई के आगे भोजन व पकवान आदि प्रस्तुत किए। जब यमराज अपनी बहन यमुना के घर से चलने के लिए उठे, तब उन्होंने अपनी बहन से मनोवांछित वरदान मांगने का अनुरोध किया।

अपने भाई यमराज के अधिक अनुरोध करने पर यमुना जी बोली, “भैया, यदि आप मुझे वर देना चाहते हैं तो मुझे आज यह वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे घर पधारेंगे तथा मेरा आतिथ्य सत्कार स्वीकार करेंगे। इसके साथ ही आज दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर आतिथ्य सत्कार स्वीकार करेगा तथा अपनी बहन के हाथों से तिलक आदि करवाकर मिष्ठान स्वीकार करेगा, उसे कभी आपका भय नहीं रहेगा। इसके साथ ही यमुना ने अपने भाई यमराज से यह भी वरदान मांगा कि जो भाई बहन आज के दिन यमुना जी में डुबकी लगाएंगे, वो स्वयं यमराज के प्रकोप से बचने की क्षमता प्राप्त करेंगे। यमराज जी ने अपनी बहन यमुना जी की सारी बातें स्वीकार कर ली और उन्हें उनकी इच्छानुसार वरदान दिया। कहते हैं कि तभी से हिन्दू समाज में भाई बहन का यह पवित्र त्योहार भाई दूज मनाया जाने लगा ।

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